Saturday, 11 February 2012

Phalgun Maas ki Vishesh Tithiya

फाल्गुन मॉस महात्मय 


13-February-2012 - मॉस सूर्य संक्रान्ति ( स्नान दान जप पित्र तर्पण अदि के लिए विशेष ) |

15-February-2012 - फाल्गुन मास  की  कृष्णाष्टमी  को  पितरो  का  तर्पण  या  दान  , जप  , स्नान  ये  सभी 
अक्षय  फल  देते  है |  -  श्रीमद भगवत पुराण 

19-february-2012 - व्यतिपात योग ( स्नान दान जप पित्र तर्पण अदि के लिए विशेष ) |

21-February-2012 - फाल्गुन  मॉस  की  अमावस्या  और  8-March-2012 - पूर्णिमा  मन्वंतर  तिथि  कही  गयी  है  इस  दिन  किये  गए  स्नान  दान  अदि  अक्षय  होते  है | - स्कन्द पुराण 

23-february-2012 - फाल्गुन  शुक्ला  द्वितीया  को  भगवान  शिव  की  पूजा  करे  , श्वेत  पुष्पों  से  उनकी  पूजा  करे , पुष्पों  का  ही  श्रृंगार  करे  , पुष्पमय  चंदोवा  बनाये , फिर  धुप  दीप  नैवेद्य  अर्पण  करके  उन्हें  साष्टांग  प्रणाम  करके  प्रसन्न  करे  तो  वेह  रोग  मुक्ति  देते  है  और  १००  वर्ष  की  आयु  देते  है |  नारद पुराण

Saturday, 10 December 2011

Paush Maas Mahatmaya


पौष मॉस महात्मय



पौष  मॉस  में  शत्भिखा  नक्षत्र  के  आने  पर  विधि  पूर्वक  गणेश
जी  की  पूजा  करनी  चाहिए ( 29 Dec 06:35 AM - 30 - Dec 07:58 AM ) | शिव पुराण 
 
धन  की  सक्रांति  से  युक्त  पौष  मॉस  में  उष:  काल  में  शिव  आदि 
समस्त  देवताओ  का  पूजन  क्रमश:  समस्त  सिद्धियों की  प्राप्ति   कराने वाला  होता  है | पौष  मॉस में  नाना  प्रकार  के  अन्न  का  नैवैध   विशेष  महत्व   रखता है | शिव पुराण 
 
पौष शुक्ला एकादशी मन्वंतर तिथि कहलाती है ( 5 January 2012 )|
 
दान पुण्य एवं जप के योग्य पौष मॉस की मुख्य तिथिया
व्यतिपात योग :-  30-Dec-2011 .
पौष मॉस की कृष्णाष्टमी :- 18 - Dec - 2011 ( श्रीमद भागवत महापुराण )
 

Sunday, 6 November 2011

Kartik Maas Mahatmaya

कार्तिक  मॉस  की  प्रत्येक  तिथि  को  शिव  पूजन  का  विशेष  महत्व   है |
कार्तिक  मॉस  में  दान  देवताओ  का  पूजन  ब्राह्मन  भोजन का विशेष  महत्व
है |

कार्तिक  मॉस  के  रविवार  को  सूर्य  पूजन  करने  व्  तेल  व्  सूती  वस्त्र  
देने  से  मनुष्य  के  कोड  आदि  रोगों  का  नाश  होता  है |
हर्र्रे  , कलि  मिर्च  , वस्त्र  और  खीर  अदि  का  दान  देने  से  क्षये
रोग  का  नाश  होता  हैदीप  व्  सरसों  के  दान  से  मिर्गी  दूर  होती  है |

धनि  द्विज को अपने  धन  के  अनुसार  अपने माता  पिता  तथा  बंधुओ  का  भी  महालय  श्राद्ध  
कार्तिक  शुकला  नवमी  ( अक्षय्य  नवमी  )  और  प्रत्येक  महीने  की  वह   पूर्णिमा  , जो  अपने
मॉस  नक्षत्र    से  युक्त  हो  चाहे  चन्द्रमा पूर्ण  हो  या  अपूर्ण  , द्वादशी  तिथि   का  उत्तरभाद्रपदा  के  साथ  योग    ये सारे  समय  पित्रगनो  का  श्राद्ध  करने  योग्य  एवं  श्रेष्ठ  है  ये  समय श्राद्ध के  लिए  ही  नहीं  सभी  पुण्य  कर्मो  के  लिए  उपयोगी  है | ये  कल्याण  की  साधना  के उपयुक्त  और  शुभ  की  अभिवृद्धि  करने  वाले  है | इन  अवसरों  पर  अपनी
पूरी  शक्ति  लगाकर  शुभ  कर्म  करने  चाहिएइसी  में  जीवन  की  सफलता
है | इन  शुभ  संयोगो  में  जो  स्नान  , जप  , होम  , व्रत  तथा  देवता  एवं  ब्राह्मणों  की
पूजा  की  जाती  है  अथवा  जो  कुछ  देवता  , पित्र  एवं  मनुष्यों  को  समर्पित  किया
जाता  है  उसका  फल  अक्षय  होता  है | युधिष्ठिर   इसी  प्रकार  स्त्री के  पुन्स्वान
आदी  , संतान  के  जातकर्म  आदी  तथा  अपने  यज्ञ  दीक्षा  आदी  संस्कारो  के  समय
शव  दहन  के  दिन  या  वार्षिक  श्राद्ध के  उपलक्ष्य  में  अथवा  अन्य  मांगलिक
कर्मो  में  दान  आदी  शुभ  कर्म  करने  चाहिए | Saptam Skand - Shrimad Bhagwat
आश्विन , कार्तिकमाघ  और  चैत्र  महीने  में  स्नान  दान  और  भगवान शिव  और  विष्णु  का  पूजन  
दस  गुना  फल  देता  है | Madhya Parv – Dwitiya Bhag – Bhavishya Puran
विप्रगनो माघ  और  कार्तिक  की  षष्टी  में  व्रत  करने  से  इहलोक  और  परलोक  में  असीम  कीर्ति  प्राप्त  होती  है | Madhya Parv – Dwitiya Bhag - Bhavishya Puran
आश्विन  एवं  कार्तिक  मॉस  के  शुकला  पक्ष  की  अष्टमी  में  अष्टदश  भुजा  का  पूजन  करना  चाहिए | Madhya Parv – Dwitiya Bhag - Bhavishya Puran
राजा युधिष्ठिर  ने  पूछा :- भगवान आप  उन  तिथियों  का  वर्णन  करे  , जिनमे  स्वल्प  भी किया  गया  स्नान  , दान  , जप  आदि  पुण्य  कर्म  अक्षय   हो  जाते  है  और  महान धर्म  तथा  शुभ  फल  प्राप्त  होता  है | भगवान  श्री  कृष्ण  कहते  है  :-महाराज  मै  आपको  अत्यंत  रहस्य  की  बात  बताता  हु जिसे  मैंने  किसीसे  नहीं  कहा  था  |  कार्तिक  मॉस  के  शुक्ल  पक्ष  की  नवमी  ये   युगादी  तिथि  है |  इन  तिथियों  में  उपवास  , ताप  , दान  , जप  , होम  आदी  करने  से  कोटि  गुना  पुण्य  प्राप्त  होता  है  | राजन  इस  प्रकार  दान  करनेवाले  को  तीनो  लोको  में  किसी  भी  वास्तु  का  अभाव नहीं  होता |
इस  युगादी  तिथि  में  जो  दान  दिया  जाता  है  वह  अक्षय  होता  है | निर्धन  हो  तो  थोडा  थोडा  ही  दान करे  , उसका  भी अनंत  पुण्य  प्राप्त  होता  है | वित्  के  अनुसार  शैय्या  , आसन , छत्री   , जूता  , वस्त्र  , सुवर्णभोजन  आदी  ब्राह्मणों को  देना  चाहिए | इस  तिथि  में  यथाशक्ति  ब्राह्मणों  को  भोजन  भी  करवाए | अनंतर  प्रसन्न  मनन  से  बन्धु बान्धवों के  साथ  मौन   हो  स्वयं  भी  भोजन  करे .युगादी  तिथि  में  दान  पूजन  आदी  करने  से  कायिक  , वाचिक  और मानसिक  सभी  प्रकार  के  पाप  नष्ट  हो  जाते  है  और  दाता  अक्षय  स्वर्ग  प्राप्त  करता  है | Uttar Parv - Bhavishya Puran.

कार्तिक मॉस की पूर्णिमा को केला , खजूर , नारियल , अनार , संतरा आदि फलो का दान करे | इस पुण्य तिथि में स्नान दान आदि नहीं करते वः जन्मान्तर में रोगी और दरिद्री होते है | Uttar Parv - Bhavishya Puran

जो  कार्तिक  मॉस  की  रात्रि  में  भगवान  शंकर  के  सामने  दीप  माला  दान  करता है  जितने  समय  तक  उसके  दीप  शिवलिंग  के आगे  जलता  रहता  है  उतने  हज़ार  युगो तक  वह  स्वर्ग लोक  में  प्रतिष्ठित  होता  है | Maheshwar Khand – Kedar Khand - Skand Puran.
कार्तिक  द्वादशी , कार्तिक मॉस  की  पूर्णिमा  मन्यादी  तिथिया  कही  गयी  है | इनमे  स्नान  करके  जो  मनुष्य  पितरो  के  उद्देश्य  से  तिल  और  कुश  मिश्रित जल  भी  देता  है  वह  परम  गति  को  प्राप्त  होता  है . Uttrardh - Skand Puran
कार्तिक मॉस के महात्मय में भगवन विष्णु को तुलसी पत्र एवं चन्दन समर्पित करने से प्राप्त अनंत पुण्य का 
वर्णन | - Chapter- 123 - Varah Puran.
कार्तिक  मॉस  की  शुक्ला  नवमी  को  द्वापर  युग  का  आरम्भ  हुआ  था  इसलिए  यह  तिथि  दान  आदी के  लिए  अक्षय   है – Vaishnav Khand – Kartik Maas Mahatmaya - Skand Puran.